कार्यशाला में अग्निस्नान, भभूत प्रकट करना जैसे अनेक प्रयोगों को बताया

 
देवास। ब्लड प्रेशर मापना, शरीर का थर्मामीटर की मदद से तापमान मापना जैसी अनेक गतिविधियों के प्रयोग करके शिक्षक अपनी कक्षा में विज्ञान में मापन का तरीका प्रायोगिक रूप से विद्यार्थियों को सिखा सकता है। विज्ञान को रूचिकर बनाकर उसकी समझ बढ़ाई जा सकती है। यह बात सोनकच्छ के प्रतिभा हाईट््स हायर सेकंडरी स्कूल सभागृह में जिले कि शिक्षकों के लिये आयोजित विज्ञान प्रशिक्षण कार्यशाला में स्त्रोत वैज्ञानिक अजय नारमदेव ने कही। एनसीएसटीसी नई दिल्ली के सहयोग से आयोजित इस प्रशिक्षण में समाज में तथाकथित चमत्कारों की वैज्ञानिक व्याख्या का प्रदर्शन करते हुये श्री नारमदेव ने अग्निस्नान, भभूत प्रकट करना जैसे अनेक प्रयोगों को प्रतिभागियों के साथ करवाया।
कार्यशाला में भोपाल से आमंत्रित आदित्य पाराशर ने आगामी सूर्यग्रहण की वैज्ञानिक जानकारी देते हुये इसके सुरक्षित अवलोकन का तरीका बताया। आदित्य ने कहा कि प्रतिभागी शिक्षक अपने विद्यालयों में अवलोकन कैंप का आयोजन कर ग्रहण के खगोलविज्ञान को समझा सकते हैं। भिंड से आमंत्रित एम एस नरवरिया ने शिक्षकों को अपने अध्यापन में प्रयोग प्रदर्शन की आवश्यक्ता पर बल दिया। कार्यशाला मेंं विशिष्ट अतिथि डॉ प्रतिभा शर्मा ने बताया कि विज्ञान विभाग द्वारा आयोजित इस प्रशिक्षण का उपयोग करके विज्ञान शिक्षण को और रूचिकर बनाने मेें मदद मिलेगी। कार्यशाला में विज्ञान अध्यापन को रूचिकर बनाने के लिये न्यूनलागत प्रयोग के साथ बालमनोविज्ञान का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।