दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे पर मुआवजे को लेकर किसानों का विरोध खत्म नहीं हो रहा है। आज दोपहर पौने दो बजे हजारों की संख्या में पदयात्रा में शामिल किसानों ने मेरठ कचहरी की ओर कूच किया। 30 अक्तूबर को डासना से शुरू हुई यह किसान पदयात्रा कमिश्नरी हुंकार भरने पहुंचे। किसानों ने 12 सूत्रीय मांग पत्र तैयार कर कमिश्नर अनीता सी.मेश्राम को देने का प्लान तैयार किया है। वहीं, मांगें न पूरी करने पर कमिश्नरी पर धरना देने की चेतावनी दी है।
उधर, किसानों की पदयात्रा को देखते हुए कमिश्नरी पर भारी संख्या में पुलिस तैनात की गई है। प्रशासन पूरी तरह अलर्ट है। एसडीएम और अन्य पुलिस अधिकारी भी फोर्स के साथ पहुंच चुके हैं। किसानों की पदयात्रा के चलते कमिश्नरी की चारों तरफ से घेराबंदी कर ली गई है। पदयात्रा परतापुर के भूडबराल से रवाना होकर कमिशनरी पहुंच चुकी है।
किसान सेवा समिति के बैनर तले चल रही पदयात्रा शुक्रवार शाम परतापुर के भूडबराल पहुंची। सैकड़ों किसानों का कांशी गांव में स्वागत किया गया। किसानों के खाने के लिए फलों का इंतजाम किया गया। फल लेने के दौरान किसानों में भगदड़ मच गई। किसानों ने भूडबराल सहित परतापुर के कई गांवों में रात्रि विश्राम किया।
आज पदयात्रा में शामिल किसानों ने मेरठ कमिश्नरी के लिए कूच किया। इस यात्रा में सैकड़ों किसान और महिलाएं भी शामिल हैं। सपा नेता अतुल प्रधान भी पदयात्रा का नेतृत्व कर रहे हैं। यात्रा में सपा नेता शोएब सिद्दीकी, प्रधान अरशद, नंबरदार जुनैद, महबूब अली, रालोद के चौ. यशवीर सिंह, अमरजीत सिंह, सतेंद्र तोमर, संजय चौधरी, बाबू सिंह आर्य, सतपाल चौधरी मौजूद हैं।
आज पदयात्रा में शामिल किसानों ने मेरठ कमिश्नरी के लिए कूच किया। इस यात्रा में सैकड़ों किसान और महिलाएं भी शामिल हैं। सपा नेता अतुल प्रधान भी पदयात्रा का नेतृत्व कर रहे हैं। यात्रा में सपा नेता शोएब सिद्दीकी, प्रधान अरशद, नंबरदार जुनैद, महबूब अली, रालोद के चौ. यशवीर सिंह, अमरजीत सिंह, सतेंद्र तोमर, संजय चौधरी, बाबू सिंह आर्य, सतपाल चौधरी मौजूद हैं।
ये हैं किसानों की मांगें
- अधिग्रहित भूमि का एकसमान मुआवजा दें।
- रजवाहे से खेतों में पानी की निकासी रुक गई है जिससे किसान की फसल सूख गई हैं। ऐसे में सर्विस रोड बनाई जाए।
- अंडरपास तैयार किए जाने के अलावा अन्य मांगें शामिल हैं।
शासन स्तर पर अटकी अधिग्रहण की फाइल
दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे के डासना से मेरठ चौथे चरण के 32 किलोमीटर मार्ग में चार गांवों की जमीन पर भी अभी कोई फैसला नहीं हो सका है। इसमें डासना, कुसालिया, नाहल, रसूलपुर सिकरोड शामिल हैं।
यहां जमीन का 50 करोड़ से ज्यादा का मुआवजा बांटा जाना है, लेकिन फाइल शासन स्तर पर अटकी है। अधिकारियों का दावा था कि सितंबर-2019 में जमीन का मामला सुलझ जाएगा, लेकिन नवंबर शुरू हो चुका है लेकिन मामला जस का तस है।
दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे के डासना से मेरठ चौथे चरण के 32 किलोमीटर मार्ग में चार गांवों की जमीन पर भी अभी कोई फैसला नहीं हो सका है। इसमें डासना, कुसालिया, नाहल, रसूलपुर सिकरोड शामिल हैं।
यहां जमीन का 50 करोड़ से ज्यादा का मुआवजा बांटा जाना है, लेकिन फाइल शासन स्तर पर अटकी है। अधिकारियों का दावा था कि सितंबर-2019 में जमीन का मामला सुलझ जाएगा, लेकिन नवंबर शुरू हो चुका है लेकिन मामला जस का तस है।