दिल्ली की जहरीली हवा के लिए क्यों जिम्मेदार है हमारे किसान भाई इन्हे कोसना छोड़िये


 दिल्ली (Delhi) के एक छोर पर एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 300 है तो दूसरे पर 1600 तक पहुंच गया है. अगर यहां के प्रदूषण (Pollution) के लिए सिर्फ पराली (Parali) ही जिम्मेदार है तो ऐसा नहीं होना चाहिए. एक ही शहर के प्रदूषण के आंकड़ों में इतना अंतर बताता है कि दिल्ली के गैस चैंबर बनने के पीछे अपने खुद कारण भी हैं. इसलिए 15 दिन तक हरियाणा-पंजाब (Haryana-Punjab) के किसानों (Farmers) को कोसने की बजाए स्थानीय कारणों पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए. क्योंकि बारिश और गर्मी के कुछ महीनों को छोड़ दिया जाए तो दिल्ली में हमेशा प्रदूषण का जानलेवा स्तर बना रहता है. पर्यावरणविदों का कहना है कि हमारी चिंताएं उन स्थानीय कारणों पर ज्यादा होनी चाहिए जिनकी वजह से दिल्ली की हवा साल भर तक खराब रहती है.

इन महीनों में भी साफ नहीं रहती दिल्ली

दिल्ली में प्रदूषण के लिए किसानों को कोसने वाले पर्यावरणविदों, नेताओं और नौकरशाहों के लिए ये आंकड़ा बहुत काम का है. दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी (DPCC) का आंकड़ा बताता है कि 2012 से 2019 तक जनवरी से जुलाई महीने के बीच पीएम 2.5 और पीएम 10 कभी नॉर्मल नहीं रहा. पीएम-10 यहां 237 से 326 तक रहा. जबकि पीएम 2.5 इस दौरान 101 से 147 तक रिकॉर्ड किया गया. पीएम 10 की सेफ लिमिट 100 माइक्रो ग्राम प्रति क्‍यूबिक मीटर (एमजीसीएम) और पीएम 2.5 की 50-60 एमजीसीएम है. ध्यान रहे इन महीनों में न तो धान की कटाई होती है और न किसान पराली जलाता. इसके बावजूद पराली जलाने की घटनाओं को जायज नहीं ठहराया जा सकता.कृषि अर्थशास्त्री देविंदर शर्मा कहते हैं कि दिल्ली का प्रदूषण उसके अपने कारणों से है. किसान उसका कारण नहीं है. पराली जले या न जले दिल्ली तो हमेशा जहरीली गैस का चैंबर बनी रहती है. दिल्ली के लोग अपनी लाइफस्टाइल नहीं बदलना चाहते. एसयूवी कारें बढ़ती जा रही हैं और दोष देते हैं किसानों को. कंस्ट्रक्शन बढ़ता जा रहा है और दोष देते हैं किसानों को. एसी बढ़ते जा रहे हैं और दोष दे रहे हैं किसानों का. सच तो ये है कि दिल्ली को अपने कारणों के समाधान पर काम करना चाहिए.

दिल्ली के प्रदूषण में पराली का योगदान

वायु प्रदूषण में किस कारक का कितना योगदान है इसके आंकड़े रोज बदलते रहते हैं. इसकी निगरानी करने वाली पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की एक संस्था है सफर (SAFAR), जिसका पूरा नाम है इंडिया सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फॉरकास्टिंग एंड रिसर्च. इसके मुताबिक दिल्ली और आसपास के इलाकों में दूषित हवा के लिए जिम्मेदार कारकों में पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं का 4 से लेकर 44 प्रतिशत तक योगदान है. दिवाली से दो दिन पहले पराली का योगदान 4 फीसदी था जो दिवाली के दिन 19 फीसदी था. अधिकतम 44 फीसदी 31 अक्टूबर को रिकॉर्ड किया गया है.