हरतालिका तीज- पंचांगों में मतांतर, दो दिन मनेगा त्योहार

हरतालिका तीज- चित्रा पक्षीय कैतकी गणना से 1 सितंबर को नत, ग्रहलाघवी पद्धति में 2 सितंबर को पर्व। उज्जैन पंचांगों में मतांतर के कारण इस बार हरतालिका तीज दो दिन मनाई जाएगी। अखंड सौभाग्य के लिए महिलाएं और उत्तम वर की प्राप्ति के लिए युवतियां निर्जल निराहार व्रत रखकर रात्रि जागरण करेंगी। चित्रा पक्षीय कैतकी गणना से तयार पंचांगों में



1 सितंबर और ग्रहलाघवी पद्धति से बने पंचांगों में 2 सितंबर को व्रत बताया गया है। हालांकि धर्मशास्त्र व शताब्दी पंचांग के अनुसार देखें तो 1 सितंबर को नत करना श्रेयष्कर रहेगा । ज्योतिषाचार्य पं.अमर डब्बावाला ने बताया भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को हरतालिका तीज के नाम से जाना जाता है। पंचांगीय गणना औ धर्मशास्त्रीय मान्यता के आधार पर इस बार ग्रह गोचर के तिथि अनक्रम से तृतीया तिथि को लेकर दो गणनाओ का अलग-अलग मत प्रकट हो रहा है। चित्रा पक्षीय पंचांग में हरतालिका तीज 1 सितंबर रविवार को सुबह 8.28 के बाद लगेगी, जो अगले दिन सोमवार को सबह 8.58 तक रहेगी। वहीं ग्रहलाघवी पद्धति से निर्मित पंचागों में 2 सितंबर को हरतालिका ताज बताई गई है। इस दिन ततीया तिथि 2 घंटे 45 मिनट रहेगी। इसके बाद चतुथी तिथि लग जाएगा। दापहर म पार्थिव गणेश स्थापना का अनुक्रम बनेगा ।धर्मशास्त्र व शताब्दी पंचांग की यह मान्यतान्नत तिथि के निर्धारण में धर्मशास्त्र की विशेष मान्यता है धर्मशास्त्र के अनुसार भाद्रपद शुक्ल तृतीया को नत की मान्यता है इस व्रत में अगर तृतीया अगर एक मुहूर्त मात्र या उससे भी कम हो तो नत करना चाहिए। अगर तृतीया तिथि का क्षय हो तो दितीया तिथि से यक्त तिथि ग्रहण कर व्रत करना चाहिए। कि 1 सितंबर को तृतीया तिथि सुबह 8.28 से अगले दिन सुबह तक है। साथ ही इस दिन हस्त नक्षत्र भी है, इसलिए 1 सितंबर को व्रत करना श्रेष्ठ है । शताब्दी पंचांग में भी 1 सितंबर को ही हरतालिका तीज का उल्लेख किया गया है लौकिक मान्यता में तीज पर हस्त नक्षत्र विशेष है। रात्रि साधना में इसका विशेष महत्व है। इसके अनसार भी 1 सितंबर को व्रत उचित बताया गया है ।। ज्योतिर्विद पं.आनंदशंकर व्यास के अनुसार हरतालीका तीज पर उदियात की तिथि ग्रहण करना चाहिए। इसके अनुसार 2 सितंबर को यह व्रत किया जाना चाहिए मध्यान्ह में पार्थिव गणेश स्थापना के साथ चतुथीं मनाना चाहिए |पटनी बाजार स्थित सौभाग्येश्वर महादेव मंदिर के पट 1 सितंबर को मध्यरात्रि 12 बजे खुलेंगे। भगवान के पंचामृत अभिषेक पूजन के बाद आम दर्शन का सिलसिला शुरू होगा। महिलाएं अखंड सौभाग्य व युवतियां उत्तम वर की कामना से सौभाग्येश्वर का पूजन करेंगी।